۲ آذر ۱۴۰۳ |۲۰ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 22, 2024
حرم امام رضا

हौज़ा/हौज़ाये इल्मिया कुम के एक अध्यापक ने कहा: इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम की नज़र में शिया और हकीकी मोमिन की महत्वपूर्ण निशनियो में से एक खुदा और अहलेबैत अलैहिस्सलाम अताअत और जिंदगी के तमाम हिस्सों में तक्वा हसिल करना है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हज़रत इमाम रज़ा (अ.स.) की शहादत के अवसर पर शोक व्यक्त करने के बाद हुज्जतुल-इस्लाम मौलाना अब्बासी खुरासानी पत्रकारों से बात करते हुए कहां:
ये इमाम हमेशा खुदा के क़ज़ा और क़द्र से राज़ी थें इसलिए उन्हें "रज़ा" कहा जाता है। इसलिए जो लोग सर्वशक्तिमान ईश्वर के अच्छे सेवक बनना चाहते हैं, उन्हें चाहिए कि वह अल्लाह के हर काम पर राज़ी रहें और उस को अंजाम दे
हज़रत इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम की सीरत पर अमल करते हुए जो काम खुदा को पसंद हो उस काम को अंजाम दे और जो काम खुदा को पसंद ना हो उस काम को अंजाम न दे,
हौज़ाये इल्मिया के इस अध्यापक ने,इमाम रज़ा (अ.स.) के विद्वतापूर्ण और व्यावहारिक जीवन के कुछ पहलुओं का उल्लेख करते हुए कहा: हज़रत इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम कुरान को अपने दिल और सीने से लगाए हुए थे और इतनी तिलावत करते थे कि दो-तीन दिन में पूरी कुरान को खत्म कर देते थे,
चूंकि मैं कुरान की आयतों को ध्यान से पढ़ता हूं, इसी वजह से 3 दिन में समाप्त करता हूं, आना था मैं इसे दिन में एक बार समाप्त करूं

मौलाना ने फरमाया इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम को खुदा से बहुत मोहब्बत थी वह सारी रात नमाज़ पढ़ते और खुदा से दुआ करते, अगर यह खुसूसियत हमने भी पाई गई तो अल्लाह से हमारा रिश्ता बहुत मजबूत होगा और हमारी जिंदगी में हर तरफ से खुशी ही खुशी होगी
अहलेबैत सारी रात इबादत ए करते थे, और अपनी पेशानी को अल्लाह के सामने झुका देते थे चाहे खुशी हो या ग़म अगर अल्लाह से रिश्ता मज़बूत होगा तो दीन में भी और दुनिया में भी इज्ज़त मिलेगी
मौलाना ने आगे बयान किया कि इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम की ज़ियरत का बहुत ज़्यादा सवब है।

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